आयुर्वेद में मधुमेह (डायबिटीज़) का इलाज: कारण, आहार, सावधानियाँ और घरेलू उपचार

आयुर्वेद में 20 प्रकार के प्रमेह बताए गए हैं, तथा उनमें से एक प्रकार के प्रमेह को मधुमेह यानि डायबिटीज़ कहते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जिससे पीड़ित हो जाने के बाद भी इस बीमारी के संदर्भ में जानकारी नहीं मिल पाती। यह बीमारी आहार विहार के नियमों की अवहेलना काफी दिनों तक करते रहने पर होती है।

हमारे आहार में खासतौर से कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, प्रोटीन, लवण, और विटामिन विद्यमान रहते हैं, जो आहार को पोषण प्रदान करते हैं। कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन और मेटाबॉलिज्म (चयापचय) नैसर्गिक रूप से इस भांति होता है या होना चाहिए, जिससे सुबह के समय खाली पेट में शर्करा (कार्बोहाइड्रेट्स) की मात्रा 80 से 120 मिलीग्राम प्रति 100 घन सेंटीमीटर रक्त के मान से हो तथा पेशाब में बिल्कुल न हो। अगर इस प्रमाण से अधिक रक्त शर्करा हो तथा पेशाब जांच में शर्करा पाई जाए, तो यह मधुमेह होने का परिचायक है, जिसके अनेक कारण होते हैं, जो काया में पैंक्रियाज द्वारा पैदा करने वाली तथा पाचक रस इंसुलिन के निर्माण में कमी करते हैं, जिससे शर्करा की मात्रा में तथा पेशाब में बढ़ने लगता है।

मधुमेह का आहार

✅ जौ, गेहूं, चना की रोटी तथा दलिया खाएं।
✅ हरी सब्ज़ियों में विशेषकर कड़वा तथा कसैले रस वाली जैसे करेला, मेथी, बथुआ, और हरे आंवले की सब्जी फायदेमंद होती है।
✅ चिकनाई रहित दही का मट्ठा तथा दूध लें।
✅ दालों में मूंग, मसूर या अरहर की पतली दाल लें। पुदीने की चटनी का सेवन करें।
✅ कम मीठे फल जैसे सेब, मौसम्मी, जामुन आदि लें।
✅ सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर शौच आदि से निवृत होकर यथा शक्ति प्रातः भ्रमण जरूर करें।
✅ आसनों में हलासन तथा मयूरासन मधुमेह के मरीज के लिए यथोचित है।

मधुमेह के लिए जरूरी परहेज

✅ आयु तथा भार की दृष्टि से आपको कितना कैलोरी युक्त भोजन लेना चाहिए, यह चिकित्सक या आहार विशेषज्ञ आपको बता सकेगा। उसी के अनुपात में भोजन की मात्रा व्यवस्थित कर लें।
✅ ना गुड़, शरबत, बनने का रस, चावल व आलू हरगिज़ सेवन ना करें।
✅ दही, दूध से निर्मित वस्तुएं जैसे रबड़ी, मलाई भी तथा वनस्पति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ना लें।
✅ मछली, मांस तथा मसालेदार पदार्थ, उड़द की दाल, राजमा, छोला दी कदापि न लें।
✅ केला, चीकू, आम व मीठे फल आदि मत लें।
✅ हर वक्त बैठे रहना तथा ज्यादा नींद लेना, झपकी लेना मना है।
✅ मल मूत्र आदि आधारणी वेदना न रोकें।
✅ शराब एवं धूम्रपान तथा अन्य कोई मादक पदार्थ मत लें।
✅ बहुत कसने वाले वस्त्र, बनियान, अंडरवियर तथा मोजे आदि ना पहने।
✅ कील, कांटे और किसी प्रकार की घाव से बचें।
✅ सोते या बैठते हुए हाथ या पैर दूसरे पर से ना दबाएं।
✅ रहन-सहन तथा खानपान के दैनिक क्रम को टूटने मत दें।

घरेलू उपचार

✅ ताजे करेले का रस चार या छह चम्मच जरूर दिन में दो बार खाली पेट लें।
✅ नीम की पत्तियों का रस दो चम्मच लेना भी फायदेमंद है।
✅ आंवले की पत्ती का रस चार चम्मच सुबह-शाम जरूर लें। आंवले का रस लेना भी हितकर है।
✅ हल्दी का चूर्ण पांच ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम लें।
✅ गुडमार के पत्ते का काढ़ा या चूर्ण रोजाना दो बार लें।
✅ जामुन की गुठली चार भाग, नीम की पत्ती चार भाग, गुडमार दो भाग, बेल का पत्ता दो भाग तथा सूखा करेला दो भाग लेकर महीन पीस लें। इसकी दो ग्राम मात्रा में सुबह-शाम लें। यह योग मधुमेह नियंत्रण के लिए फायदेमंद है।


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